MOTIVATIONAL
इतने बुरे तो नहीं थे
जितने इल्जाम लगाये लोगों ने,
कुछ किस्मत खराब थी, कुछ आग लगाई लोगों ने।।
नेमाराम माचरा
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खुशी जल्दी में थी रुकी नहीं
, गम फुर्सत मे थे ठहर गए !
लोगों की नजरों में फर्क अब भी नही
है...
पहले मुड़ कर देखते थे..
अब देख कर मुड़ जाते है ।
आज परछाई से पूछ ही लिया क्यों'
चलती हो , मेरे साथ उसने हँस कर
कहा ,
दूसरा कौन है तेरे साथ ।
नेमाराम माचरा
खुद लड़नी पड़ती है जिंदगी की लडाई
लोग साथ कम और ज्ञान ज्यादा देते है।
कभी जो हंसकर बोला करते थे आज हमें देख कर मुंह मोड़ लेते हैं।।
नेमाराम माचरा
चावल अगर कुमकुम के साथ मिल जाए तो किसी के मस्तक तक पहुंच जाते हैं...
और दाल के साथ मिल जाए तो खिचड़ी बन जाती है....
अर्थात हम कौन हैं उसके महत्व से ज्यादा किनकी संगत में है, यह बहुत महत्वपूर्ण है।।
नेमाराम माचरा
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