By Nemaram Machra
तराशिये खुद को इस कदर ...
जहाँ पाने वाले को नाज रहें और
खोने वाले को अफसोस
━━━━✧❂✧━━━━
समाजसेवी धर्मवीर जाखड़ के लिए कुछ पंक्तियां
मैं नेमाराम माचरा जिला-बाड़मेर
-------:कुछ पंक्तियां:-----
सुख-सहन छोड़कर औरों को पढ़ाने चल पड़ा।
एक भीख मांगने वाला छोटा बच्चा शिक्षा के लिए दौड़ पड़ा।।
अब रख दि हाथ से नीचे उसने वह भीख की कटोरी।
एक शख़्स के कहने पर उसने अब थाम ली हाथ में कलम की डोरी।।
बदल गया था अब वह बालक जो कभी भीख मांग कर खाता।
अब वह छोटा बालक सवेरे उठते ही आपणी पाठशाला की ओर जाता।।
एक ग़रीबी में जूझा हुआ था, एक कमल का फूल।
अब वह नई शिक्षा में पुनः खिल उठा मुरझा-सा फूल।।
अब गरीब का पिता ख़ुश था,जब उस बालक ने पिता का नाम लिखा।
पुछा पिता ने तो बेटा बोला,यह धर्मवीर से सिखा।।
उस गरीब बालक का पिता, धर्मवीर से मिलने की जिद अड़ा।
सवेरे ही गरीब पिता अपने बेटे के साथ आपणी पाठशाला की ओर चल पड़ा।।
मिल गया था उस गरीब पिता को जिससे मिलने के लिए जिद अड़ा।
उस पिता के आंखों में आसूं थे, और बोला मेरे सामने धर्मवीर है या कोई फरिश्ता खड़ा।।
यह पढ़कर हर कोई उत्सुक हैं, जानने के लिए क्या है ऐसा उसका काम।
2011 पुलिस बैच का,चुरू का धर्मवीर जाखड़ है उसका नाम।।
देखी मैंने आपकी एक पोस्ट तो मैं आपके बारे में जानने को इच्छुक हुआ।
देखते ही देखते मैं आपके बारे में लिखने को मजबूर हुआ।।
'"-------""""".... नेमाराम माचरा 📚📚✍️✍️✍️✍️
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें